मेरे सपने अनोखें हैं
दिन रातों में देखें हैं
सच्चे हैं या झूटे हैं
इन आँखों ने देखें हैं
कोई ख़्वाब है शोहोरत का
कोई ख़्वाब मुहब्बत का
कोई मस्त नज़ारों का
क़ोई चाँद-सितारों का
अरमानों का सपना
सपने में कोई अपना
जिसकी याद में दिल ने
सीखा रोज़ तड़पना
मन में हैं इक आग लगी
झूट है क्या, और क्या है सही
ये सैलाब है खयालों का
भाग के इनसे जाऊँ कहाँ
कल की आस पे क्या जीना
प्यास ही प्यास पे क्या जीना
आज का हर पल अपना है
कल इक झूटा सपना है
हिम्मत है तो जी ले
अपने आंसू पी ले
बढ़ जा आगे बढ़ जा
तूफानों से लढ जा
अरमानों का सपना
सपने में कोई अपना
जिसकी याद में दिल ने
सीखा रोज़ तड़पना
[Music: Milin
Lyrics: Ibrahim Ashq]
कभी-कभी तो मुझको यूं लगे …..
जाने जाने कब, जाने कब समझोगे
देखो बंधनो से तो दूरीयां बढ़ेंगी
जाने जाने कब तुम ये समझोगे
इतनी नज़दीकियों से चाहते न रहेंगी
कभी-कभी तो मुझको यूं लगे
छिपा के रखना चाहो तुम मुझे
कभी-कभी तो मुझको यूं लगे
मेरी रूह पे सिर्फ हक़ तुझे
जाने जाने कब, जाने दोगे मुझे
जाने कब मुझे पेहचानोगे
जाने कब सीखोगे पिंजरों को खोलना
जाने कब खिड़की से बाहर झांकोगे
कभी-कभी तो मुझको यूं लगे
रूठने-मनाने के तुम खेलो खेल
कभी-कभी तो मुझको यूं लगे
पगला जाऊँगा, कब हो ताल-मेल
शायद तुम वो कहोगे अब जिसका मुझको सब है पता
जो भी कुछ है, जैसा भी है, मान लो यहीं है रास्ता
जाने क्या तुम्हे आता है मज़ा, बहस-बहस हर बात पे
थक जाऊँ, कितना क्या बताऊँ अजी, तेरे सैकडो सवालात पे
कभी-कभी तो तुझको यूं लगे
मेरे वक़्त पे सिर्फ हक़ तुझे
कभी-कभी तो मुझको यूं लगे
दुनिया की न खबर तुझे
[Music: Milin
Lyrics: Tushar Bhatia]
कैसी सड़क है ये
कैसी सड़क है ये
कैसी चमक है ये, यहाँ
इक रोशनी-सी है
इक ज़िंदगी-सी है, जवां
ये शहर अपना है
हर इक का सपना है, जहाँ
क्या मौज-मस्ती है
चाहत बरसती है, यहाँ
अपनी-अपनी धुन में ज़िंदा है ये सारे दीवाने
कैसे-कैसे नये-नये बन जाते है याराने
अपनो की ग़ैरों की
बातेँ है लोगों की, जुदा
कुछ उनके बारे में
जो है अंधेरे मे, सदा
यूं चल रहे है हम
ठोकर ना कोई ग़म, कहीं
रॉशन है इक लड़की
देखे तो हैरत-सी, हसीन
ये मस्ती-लुटाते, झूमते-गाते दिलवाले
कोई न जाने किसको अपना यार बना ले
[Music: Milin
Lyrics: Ibrahim Ashq]